1 lakh cases of ovarian cancer in India every year AIIMS found a way to keep patients alive for longer | भारत में हर साल आ रहे ओवेरियन कैंसर के 1 लाख केस, एम्स ने खोजा मरीजों को ज्यादा दिनों तक जिंदा रखने का उपाय

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1 lakh cases of ovarian cancer in India every year AIIMS found a way to keep patients alive for longer | भारत में हर साल आ रहे ओवेरियन कैंसर के 1 लाख केस, एम्स ने खोजा मरीजों को ज्यादा दिनों तक जिंदा रखने का उपाय



अंडाशय (ओवरी) के कैंसर से जूझ रही महिलाओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS)दिल्ली द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में यह पाया गया है कि पेल्विस और पेट की पिछली दीवारों से लिम्फ नोड को हटाने से मरीजों के जीवित रहने की संभावना में काफी सुधार हो सकता है. यह शोध 11 अप्रैल को मिस्र के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की जर्नल में प्रकाशित हुआ है.  
इस अध्ययन में शामिल 105 मरीजों में से पांच वर्ष तक जीवित रहने की कुल संभावना 48.9 प्रतिशत पाई गई, जो कि एक अहम उपलब्धि मानी जा रही है. यह अध्ययन डॉ. बी आर आंबेडकर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल (डॉ. बीआरए-आईआरसीएच), एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एम. डी. रे के नेतृत्व में किया गया.
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क्यों जरूरी है लिम्फ नोड को हटाना?
डॉ. रे बताते हैं कि कीमोथेरेपी के बाद भी बढ़े हुए लिम्फ नोड शरीर में कैंसर के दोबारा पनपने का कारण बन सकते हैं. ये नोड्स पूरी तरह स्टरलाइज नहीं हो पाते, जिससे ये रोग के फैलाव का सोर्स बन जाते हैं. इसलिए एडवांस कैंसर के मामलों में इन लिम्फ नोड्स को हटाना जरूरी होता है. हालांकि यह प्रक्रिया काफी जटिल होती है क्योंकि ये लिम्फ नोड्स दिल से जुड़ी मुख्य रक्त वाहिकाओं के पास स्थित होते हैं. इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित सर्जन की आवश्यकता होती है.
कैंसर के बढ़ते मामले
भारत में अंडाशय का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. हर साल लगभग 1 लाख नए मामले सामने आते हैं. यह महिलाओं में स्तन कैंसर और सर्वाइकल के कैंसर के बाद तीसरा सबसे आम कैंसर बन चुका है. दुनियाभर में भी यह महिलाओं में सबसे जानलेवा स्त्री रोग कैंसर माना जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार, शुरुआती पहचान और बेहतर सर्जिकल तकनीक से इस बीमारी के इलाज की सफलता दर बढ़ाई जा सकती है.
अंडाशय कैंसर में जिंदा रहने की संभावना
ओवेरियन कैंसर लगभग 78% मरीज निदान के बाद कम से कम एक वर्ष तक जीवित रहते हैं, और 50% से अधिक कम से कम 5 वर्ष तक जीवित रहते हैं. 
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-एजेंसी-
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)



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