मोटापे की समस्या दुनिया भर में बढ़ती जा रही है, और अगले 25 वर्षों में इसके मामलों में जबरदस्त बढ़ोतरी होने की आशंका जताई गई है. शोधकर्ताओं के अनुसार, 2050 तक दुनिया के एक तिहाई बच्चे और किशोर मोटापे या अधिक वजन से ग्रसित होंगे.
यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया स्थित मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट ने किया है और इसके परिणाम चिंताजनक हैं. इस बढ़ते समस्या का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव न केवल आर्थिक दृष्टि से भारी होगा, बल्कि यह बच्चों और किशोरों के जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करेगा.
मोटापे का भविष्य पर असर
इस अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ. जेसिका केर ने कहा, “यह बढ़ती समस्या स्वास्थ्य प्रणाली और अर्थव्यवस्था पर अरबों डॉलर का बोझ डालेगी. इसके साथ ही उच्च शरीर द्रव्यमान सूचकांक (BMI) से जुड़ी समस्याएं जैसे डायबिटीज, कैंसर, हार्ट संबंधी समस्याएं, सांस लेने में कठिनाई, प्रजनन संबंधी समस्याएं और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बच्चों और किशोरों को आज और भविष्य में प्रभावित करेंगे.
मोटापे की दर में वृद्धि
यह शोध बताता है कि 1990 से 2021 तक, 5 से 24 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर तीन गुना बढ़ गई है. 2021 में, दुनिया भर में 493 मिलियन बच्चे और किशोर मोटापे या अधिक वजन से ग्रस्त थे.
बढ़ती उम्र में मोटापे के प्रभाव
मोटापे से ग्रस्त बच्चों में आगे चलकर जीवन में स्ट्रोक, कई प्रकार के कैंसर, दिल की बीमारी, टाइप 2 डायबिटीज, समय से पहले मौत और मानसिक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है.
समय रहते कदम उठाना जरूरी
डॉ. केर ने कहा कि अगर इस समस्या पर तुरंत कोई एक्शन नहीं लिया गया तो भविष्य में हमारे बच्चों का जीवन मुश्किल हो सकता है. इस समस्या का हल संभव है, अगर 2030 से पहले सक्रिय कदम उठाए जाते हैं.
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